CV Raman, Happy Science Day, Biography of C.V. Raman in Hindi। C V Raman ki jivani, सी वी रमन का जीवन परिचय।
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28 फरवरी, विज्ञान दिवस C.V. Raman Ji |
विज्ञान ब्रह्मांड की कई चीजों की खोज का आधार बन गया है।
और विज्ञान की कई खोजो में कई भारतीय दिग्गजों ने यहां पर सहायता की है।
इन्हीं में से एक दिग्गज है,
सी वी रमन जी
हां जिन्होंने रमन प्रभाव की खोज की थी।
आज विज्ञान दिवस है। और आज के उपलक्ष में हम यहां पर रमन प्रभाव के बारे में चर्चा करने वाले हैं।
आखिर क्यों आज के दिन को ही विज्ञान दिवस के रूप में मनाया जाता है ।
इस पर भी चर्चा करेंगे और कौन थे, चंद्रशेखर वेंकटरमन जो की हमारे भारतीय इतिहास में जिन्होंने नोबेल प्राइस तक प्राप्त किया है।
आज की चर्चा शुरू करते हैं, और सबसे पहले देखते हैं की हम किन बिंदुओं पर आज चर्चा करने वाले हैं
आज का हमारा विषय है
विज्ञान दिवस विशेष जिसमें रमन प्रभाव क्यों है।
खास इस बात पर हम चर्चा करने वाले हैं।
चंद्रशेखर वेंकटरमन इसके बाद जानेंगे रमन प्रभाव के बारे में
रमन प्रभाव बहुत ही का एक महत्वपूर्ण प्रभाव है।
जो की प्रकाशिकी से संबंधित है। और इसके लिए भारतीय वैज्ञानिक चंद्रशेखर जी को यहां भौतिकी के नोबेल प्राइज से आज के दिन ही नवाजा गया है।
इसलिए जरूरी है रमन प्रभाव के बारे में जानना, उसके बाद जानेंगे खोज की महत्व के बारे में।
सबसे पहले हम देखेंगे खबर है नेशनल साइंस दे 23rd रमन इफेक्ट विच व रमन वॉन डी नो विल ट्राई दरअसल रमन इफेक्ट के लिए सी सी रमन को यहां नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। की जिसके लिए इतना बड़ा अवार्ड उन्हें प्रदान किया गया है ।
आखिर वह प्रभाव है क्या।
यदि हम बात करें की यह खबर सुर्खियों में क्यों आ गई है तो
दरअसल 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में मनाया जाता है। और 28 फरवरी को नामित किया गया था की आज के दिन हम यानी 28 फरवरी को हम राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में मनाएंगे।
पहली बार हमने कभी शुरुआत की थी तो पहली बार हमने इस बारे में चर्चा की थी, 1986 में की।
1986 में पहली बार सामने आई की अब हम 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में मनाएंगे। इसके बाद पहली बार कब मनाया गया ।
1987 में पहली बार 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में मनाया गया।
यहां पर उस समय राजीव गांधी जी की सरकार थी ।सियासी की बात कर रहे हैं हम तो उन्होंने ही इसे यानी आज की खोज को क्योंकि 28 फरवरी को रमन प्रभाव या रमन इफेक्ट की खोज हुई थी।
इसी को दुनिया भर को याद दिलाने के लिए या कहीं राष्ट्र में इस दिन को महत्वपूर्ण उपलक्ष के रूप में जब इसकी घोषणा हुई तो इस दिन को याद करने के लिए यहां राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 28 फरवरी को मनाया जाने लगा ।
हम बात करेंगे इस बात की कि भारत जी-20 की अध्यक्षता भी करने वाला है। तो इसलिए हाथ से वैश्विक लेवल पर आखिर हम कैसे साइंस की मदद से जो आजकल घटनाएं घटित हो रही है, उसे कम कर सकते हैं। इस आधार पर T20 की अध्यक्षता के संदर्भ में इसी के आलोक में यह थीम काफी महत्वपूर्ण हो जाती है।
अब हम जानेंगे की आखिर व रमन हैं कौन..?
यानी इनकी बारे में जानेंगे यदि हम इनके नाम की बात करें तो इनका नाम है,
चंद्रशेखर वेंकटरमन जिनका जन्म सात नवंबर 1888 में हुआ था कहां पर हुआ था यदि हम बात करें इनकी पिता के संदर्भ में तो इनके पिता गणित भौतिकी लेक्चरर द और शुरुआती समय से ही इनकी जो शिक्षा है वह काफी महत्वपूर्ण रही है।
और उन्होंने कम उम्र में काफी उपलब्धियां यहां पर हासिल की हैं, वर्ष 1904 में इन्होंने भौतिकी की परीक्षा पास की और बहुत सीखी मैं इन्हें प्रथम स्थान के साथ साथ स्वर्ण पदक भी प्राप्त हुआ था।
शुरुआती 100 दिन का दिन विषय में था यानी की शुरुआती शोध की बात करें तो उन्होंने प्रकाश की और ध्वनि विज्ञान पर शुरुआत में शोध किया था।
कई घंटे तक ये शोध करते रहते और इसी का परिणाम है की उन्होंने रमन प्रभाव की खोज भी की।
वर्ष 1907 में इन्हें भारतीय वित्त विभाग में इन्होंने काम करना शुरू किया। क्योंकि उसे समय जो समाज में खोज को लेकर ही रिसर्च को लेकर जो मान्यता थी वह कुछ खास नहीं थी इसलिए फिर इन्हें वित्तीय विभाग में काम करना पड़ा और उसके बाद फिर उनका विवाह आदि हुआ तो यह उन्होंने बहुत लंबे समय तक फिर यहां पर कार्य किया लेकिन कलकत्ता में इंजन एसोसिएशन फॉर डी कल्टीवेशन ऑफ साइंस की प्रयोगशाला में इन्हें कार्य करने के लिए कहा गया।
तो इसके साथ साथ यहां पर कार्य भी करते रहे ।
कई बार लगातार इन्होंने प्रयोग किया और कई ऐसी नई चीजों पर इन्होंने लेखन भी किया है।
जैसे संगीत और इसके वाद्य यंत्रों के लिए ध्वनि के संदर्भ में उन्होंने अपने कई लेख लिखे हैं जो आज भी काफी प्रचारण में है ।
और काफी महत्वपूर्ण है इनके संदर्भ में हम और तथ्यों की यदि बात करें तो इन्हें आईएससी बेंगलुरु में ये प्रोफेसर के रूप में भी इन्होंने काम किया है।
वर्ष 1933 से 1948 तक फिर वर्ष 1926 में इन्होंने इंडियन जनरल ऑफ फिजिक्स की स्थापना की।
इसके बाद वर्ष 1922 में प्रकाश की आणविक विवरण पर इन्होंने कार्य करना शुरू किया ।
यहां से शुरू होती है प्रकाश को लेकर इनकी खोज प्रकाश के क्षेत्र में कौन-कौन सी खोज है ।
कौन-कौन सी महत्वपूर्ण प्रभाव हो सकते हैं यहां पर उन्होंने इसकी खोज शुरू की थी
यदि हम बात करें और कौन-कौन से क्षेत्र में उन्होंने कम किया है ।
1924 में रॉयल सोसाइटी के बैलों के रूप में चुना गया था। और 1929 में इन्हें नाइट की उपाधि प्रदान की गई थी। इसके बाद ये जब इंग्लैंड गए। इंग्लैंड से लौटते हुए रास्ते में क्या देखा हवाई जहाज के माध्यम से की जब यह रास्ते नीचे देख रहे हैं तो मत भूमध्यसागर के पास उसका जो जल है वह काफी नीला दिखाई दे रहा है।
सूर्य के प्रकाश उसे पर पड़ता है और सूर्य के प्रकाश का फिर वहां से या तो रेफरेक्शन समझाया तो पर्यावरण समझाया तो प्रवर्तक तो किसी ना किसी घटना की सुंदर दृश्य दिखाई दिया इसके बाद भी जानना चाह रहे द की आखिर यह घटना क्यों घटित होती है किस वजह से घटित होती है इसी संदर्भ में फिर उन्होंने प्रकाश की माध्यम से ही कई खोज शुरू की ।
फिर अंततः 28 फरवरी को 1928 को इन्होंने रमन प्रभाव की खोज की जो की इन्हीं के नाम पर रखा गया रमन इफेक्ट जिसमें इन्होंने प्रकाश की विभिन्न प्रवर्तन अपवर्तन विवरण के बाद प्रकीर्णन की बात की किस संदर्भ में यहां पर यह चीज है होती है ।
यदि हम बात करें इन्हीं के इस प्रयोग के संदर्भ में तो उन्होंने यह प्रयोग 60 अलग पदार्थ में किया था
यानी केवल एक ही पदार्थ के आधार पर नहीं ।
जगत की 60 अलग-अलग पदार्थ में प्रकाश इसी प्रयोग को इन्होंने दोहराया और अंत में इन्होंने पाया की जब प्रकाश की कोई किरण किसी अनु से टकराती है तो उसमें कोई ना कोई परिवर्तन होता है।
जिसके जैसे इन्होंने रमन इफेक्ट दिया आगे हम जानेंगे।
अब रमन इफेक्ट के बारे में की आखिर रमन इफेक्ट है क्या..?
क्योंकि रमन इफेक्ट के लिए इन्हें भौतिकी का नोबेल प्राइस मिला था ।
1930 में जो की अपने आप में काफी महत्वपूर्ण है।, एशिया के संदर्भ में और ये तो भारतीय व्यक्ति हैं ,तो इसलिए भारत के संदर्भ में भी अपने आप में काफी महत्वपूर्ण खोज है ।
हम सभी जानते हैं की ,
जो प्रकाश होता है जो वे किसी वस्तु से गुजरता है या किसी वस्तु के साथ परस्पर क्रिया करता है, तो उसमें तीन प्रकार की महत्वपूर्ण घटनाएं देखने को मिलती है। एक प्रकाश का परावर्तित हो जाना दूसरा प्रकाश का अपवर्तित हो जाना या उसका संस्कृत हो जाना रमन इफेक्ट क्या है रमन इफेक्ट यह है की जब कोई प्रकाश की लाइट जगह प्रकाश की कोई की थोड़ी सी अनु से टकराती है तो ऐसा देखा जाता है क्योंकि वहां पर तब तक क्या माना जा रहा था की जो प्रकाश की किरण इसके बाद जो ये वापस से किरण निकलती है वो से उसी फ्रीक्वेंसी की होती है से वही एनर्जी लेवल होता है उसका जो उसकी शुरुआती किरण का होता है रमन इफेक्ट में क्या पाया गया रमन इफेक्ट में पाया गया की कुछ ऐसी भी यहां करने होती हैं जिनकी एनर्जी लेवल और इनका वेवलेंथ चेंज हो जाता है यह एनर्जी लेवल और वाइब्लांट क्यों चेंज होता है तो जब कोई प्रकाश की किरण किसी अनु से टकराती है तो यहां पर आप सभी जानते हैं यदि हम कोई बॉल लेंगे और बॉल में हम बुलेट यहां गोली चलाएंगे तो उसमें कंपन होता है तो यहां पर अनु में भी कंपन होता है और अनु में जब कंपन होता है तो इसकी जो स्थिति ऊर्जा है इसकी जो घूर्णन की गति है यह भी चेंज हो जाती है तो यहां कहीं ना कहीं ये किरण जो किसी अनु से टकराती है तो या तो यह अनु उसे किरण को अधिक एनर्जी दे देता है जो की वेवलेंथ ठीक है बढ़ गई इसकी एनर्जी ज्यादा हो गई इसकी एनर्जी की तुलना में या तो यह अनु इसकी एनर्जी ले लेटा है और इसकी वेवलेंथ को देखिए आप यहां पर छोटा कर देता है यहां पर इसकी फ्रीक्वेंसी बढ़ जाती है देख रहे हैं या तो इसकी एनर्जी को ही हम बढ़ा देता है या तो कम कर देता है तो यह बहुत कम बहुत बहुत ही छोटी सी अनीश में बहुत ही छोटे से हिस्से में ऐसा होता है इसी की खोज की थी किसने रमन ने इसलिए इसी इन्हीं के नाम पर इसे क्या नाम रखा गया रमन प्रभाव या रमन इफेक्ट जिसमें क्या कहा गया की जब कोई प्रकाश की किरण यहां हम कहें की कोई प्रकाश किसी तरल पदार्थ से गुजरता है तो तरल द्वारा बिखेरे गए प्रकाश का एक अंश अलग रंग का होता है और ऐसा कैसे होता है क्योंकि उसकी तरंग दैर्ध्य में परिवर्तन हो जाता है और नो द्वारा प्रकाश की करने को विकसित कर दिया जाता है और यही कहलाता है रमन प्रभाव जो परिवर्तन आपने देखा यहां पर तरंगदैर्ध्य ऐसे वेव की तरीके से गति करती है तो यह उसका तरंग दर्द कहलाता है यहां पर तरंगे में अंतर ए गया लेकिन यहां पर कई तरह यानी इसकी फ्रीक्वेंसी यहां पर आवृत्ति यहां पर बढ़ गई और इसकी आवृत्ति यहां पर कम हो गई तो इसके लिए क्या देखा गया की प्रकाश की एक छोटे से अंश में किस वजह से इस अनु की वजह से परिवर्तन हो गया और ये परिवर्तन क्या तरंग दहेज में परिवर्तनाया इस वजह से हमें कुछ अंश यहां पर अलग रंग का दिखाई दिया इसे ही इन्होंने रमन इफेक्ट या हम कहें रमन प्रभाव कहा है रमन प्रभाव के संदर्भ में प्रकाश के संदर्भ में कुछ और भी तथ्य है काफी महत्वपूर्ण है जैसे प्रकाश की प्रकृति स्वभाव में परिवर्तनशील होती है यह बात हम अच्छी तरीके से जानते हैं और ऐसा कम होता है जब वह पारदर्शी माध्यम से गुजरता है या निकलता है ऐसा ही प्रजनन के संदर्भ में ही है जब प्रिज्म से कोई प्रकाश की करंट टकराती है तो देखिए विभिन्न रंगों में विभक्त हो जाती है सात रंग विभक्त हो जाती है तो यह भी कहीं ना कहीं प्रकाश के गति ही है प्रकाश का एक तरीके का कोई ना कोई इसका इफेक्ट प्रभाव ही है इसके संदर्भ में क्या कहा गया यदि हम बात करें प्रकीर्णन ही कहलाता है रमन इफेक्ट क्योंकि खोज उन्होंने ही की थी इसके बाद जिसमें जो अनु होता है जो की छोटा सा हमने जिस मॉलिक्यूल की बात की उसे मॉलिक्यूल में कहीं ना कहीं परिवर्तन ए जाता है उसमें घूर्णी ऊर्जा स्तरों में उसको उसकी प्रोत्साहन मिलता है इसको हमने बात की कंपन उसमें होने लगता है और आपतित किरण की दिशा से भिन्न अन्य दिशाओं में प्रकाश का यहां विवरण हो जाता है प्रकीर्णन हो जाता है ये तो हमने देख लिया यदि हम बात करें प्रकाश के संदर्भ में हिट दरअसल जब कोई प्रकाश इसके जो अधिकांश हिस्सा है हम सभी जानते हैं क्या होता है इसकी तरंगदैर्ध्य परिवर्तित होती है तरंगदाइड हमने देखा भी पिछले वाले स्लाइड में की से जिस फ्रीक्वेंसी से ए रही थी उसी फ्रीक्वेंसी से काफी ज्यादा प्रकाश की मात्रा बाहर निकल रही थी अनुसूत्र करने के बाद बहुत कम ही है जिसकी यहां पर वेवलेंथ में चेंज ए रहा था और ये बहुत कम अंश ही क्या कहलाता है रमन इफेक्ट यार रमन प्रभाव इसके बारे में हमने पिछले स्लाइड में चर्चा की अब हम जान लेते हैं की आखिर खोज इतनी महत्वपूर्ण क्यों हो गई है प्रकाश की प्रकृति प्रकाश की जो खोज हुई तो उसे समय ये काफी महत्वपूर्ण था क्योंकि कहीं ना कहीं उसे समय क्वांटम तक नहीं की खोज ही चल रही थी तो किसी अनु की वह अवस्था जो जैसे हम परमाणु लेवल कहते हैं किसी पदार्थ का उसकी परमाणु लेवल पर जाकर जब इलेक्ट्रॉन प्रोटॉन और न्यूट्रॉन पर हम ए जाते हैं तो इस लेवल तक किसी के बारे में हमें जानकारी पता चल जाए उसे समय जब उन्होंने खोज की थी तो यह काफी बड़े प्रभाव के रूप में देखा जा रहा था की कहीं ना कहीं हमें किसी पदार्थ के बहुत छोटे से हिस्से के बारे में भी पता यहां पर चल सकता है प्रोटॉन के स्टार में यहां पर खोज हुई थी इसलिए काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा था इसके साथ ही खोज के बाद क्या हुआ रमन स्पेक्ट्रस गोपिका आधार मिल गया इसके बाद इस फैक्टर्स को भी की भी खोज हुई जिसकी सहायता से क्या किया जाने लगा विद्युत चुंबकीय विकिरण का यहां पर अध्ययन काफी आसान हो गया यानी स्पेक्ट्रोस्कोपी की सहायता से पदार्थ और विद्युत चुंबकीय जो भी विकिरण है इनके जो प्रभाव है इनका भी अध्ययन काफी आसान हो गया उसे समय इसकी कारण खोज यहां पर और भी निकल कर सामने आई थी इसके बाद हमने अभी चर्चा भी की क्वांटम सिद्धांत के लिए उसे समय खोज काफी महत्वपूर्ण माने जा रही थी और आज क्वांटम सिद्धांत के लिए ही कई बार बहुत ही नोबेल प्राइस प्रदान किए जा रहे हैं हम सभी जानते हैं तो ये उसका आधार माना जा रहा है जब उन्होंने रमन इफेक्ट की खोज की तो आप देखिए उसके आधार पर कई सारे यहां प्रकाशित संबंधित खोज हुई हैं जिन्हें नोबल प्राइस भी प्राप्त हुआ है इसके साथ ही अब क्या किया जाता है इस इफेक्ट्स की जरिए क्या-क्या चीज यहां पर देखी जाती हैं तो सामग्री के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए जो भी विभिन्न दवाई विक्रेता है और भौतिक विधि है इसका प्रयोग करते हैं की किसी सामान्य किसी दवाई के अंदर कौन-कौन से इनग्रेडिएंट हैं इनके बारे में काफी आसानी से पता लगाया जा सकता है इस प्रभाव के बाद तो ये तो हमने जाना था मैंने फैक्ट के बारे में अब हम जानेंगे आज के सेशन पर आधारित है हमारा प्रश्न क्या है प्रश्न है निम्नलिखित में से कौन सा कथन रमन प्रभाव के बारे में सही है और है कथन क्या है रमन जी को भौतिकी में 1930 का नॉर्मल पुरस्कार प्रदान किया गया था।