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 Radhika Merchant : Radhika Merchant Biography, Radhika Merchant Husband,Age, Father, Family, Lifestyle, 


Radhika Merchant Lifestyle 

राधिका मर्चेंट की जीवनी। मुकेश अंबानी की बहु, अनंत अंबानी की पत्नी।

दोस्तों

 राधिका मर्चंट अनंत अंबानी की मंगेतर हैं।
 जो भारत के सबसे बड़े बिजनेस टायकून मुकेश अंबानी के सबसे छोटे बेटे अनंत अंबानी की पत्नी हैं । राधिका मर्चंट इनकार हेल्थ केयर के कु प्रेम मर्चंट की बेटी हैं।
 
आज के इस लाइफस्टाइल में राधिका मर्चंट की लाइफ से जुड़ी कुछ ऐसी बातें बताएंगे, जो शायद आप नहीं जानते होंगे।

 इनका फुल नाम राधिका वीरेन मर्चंट है।
 जो प्रोफेशन से बिजनेस वुमेन एंड क्लासिकल डांसर हैं। राधिका मर्चंट का जन्म 19 दिसंबर 1994 को कुछ गुजरात में हुआ। जो साल 2024 के हिसाब से 29 साल के हैं।

 दोस्तों राधिका ने अपनी स्कूलिंग मुंबई की कैटिगरी एंड जॉन कानन स्कूल से पुरी की है, फिर उन्होंने इंटरनेशनल स्कूल से अपना आईपी डिप्लोमा पूरा किया।

 राधिका मर्चंट ने निजर यूनिवर्सिटी से पॉलिटिक्स में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की है। इसके अलावा राधिका मर्चंट ने 8 साल तक भरतनाट्यम की ट्रेनिंग ली है ।
इसके साथ ही राधिका ने मुंबई में shri nibha आर्ट से इंडियन क्लासिकल डांस भी सिखा है।

 आपको बता दें की राधिका अपनी ने पढ़ाई खत्म करके जब भारत लौटी तब उन्होंने इंडिया फर्स्ट ऑर्गेनाइजेशन और देसाई एंड दीवान जी जैसी फॉम में इंटर्नशिप किया था।

 इसके बाद उन्होंने मुंबई की रियल एस्टेट कंपनी इस गोवा में जूनियर सेल्स मैनेजर की नौकरी की है, हालांकि अभी राधिका ने अपना फैमिली बिजनेस ज्वाइन कर रखा है।

 राधिका मर्चंट अनंत अंबानी की शादी हो गई हैं।

 चलिए दोस्तों बात करते हैं.....,

राधिका मर्चंट के फैमिली के बारे में दोस्तों

 इनके फादर का नाम वीरेन मर्चेंट जैन है।
 वीरेन मर्चंट जैन को हेल्थ केयर के सीईओ हैं। और इनकी माता का नाम सैला मर्चंट हैं। 
दोस्तों राधिका मर्चंट की सिस्टर का नाम अंजलि मर्चंट है, और राधिका मर्चंट के होने वाले हस्बैंड का नाम है अनंत अंबानी है।

 अब चलिए हेलो दोस्तों बात करते हैं राधिका मर्चंट के हाउस के बारे में...,

दोस्तों राधिका मर्चंट अपने होने वाले हस्बैंड अनंत अंबानी के साथ मुंबई की शानदार बिला में रहेंगी जिसकी कीमत है लगभग 650 करोड़ रुपए।
 
अब चलिए दोस्तों बात करते हैं राधिका मर्चंट के नेटवर्क के 

बारे में दोस्तों साल 2023 के हिसाब से इनकी नेट वर्थ लगभग 10 करोड़ रुपए हैं।

तो दोस्तों ये मुकेश अंबानी की बहु और अनंत अंबानी की पत्नी राधिका मर्चेंट की बायोग्राफी है। कमेंट और शेयर करें की आपको ये ब्लॉग केसा लगा।

महाशिवरात्रि | why is shivratri celebrated| शिवरात्रि क्यों मनाई जाती है ? | Maha Shivratri | Happy Maha Shivaratri |

 महाशिवरात्रि | शिव पुराण | शिवरात्रि क्यों मनाई जाती है ? | Maha Shivratri |Happy Maha Shivaratri |


Maha Shivaratri 

Maha Shivaratri wallpapers 


हर हर महादेव जय भोलेनाथ 

यानि कान्यत्र लिंगानि, स्थावराणि चराणि च। 
तेषु संक्रमते देवस्तस्यां, रात्रौ यतो हरः ।।
 शिवरात्रिस्ततः प्रोकता, तेन सा हरिवल्लभाः।।

                           अर्थात

 
इस चल अचल सृष्टि में जहां कहीं भी शिवलिंग हैं चाहे वह छोटे हो या अत्यंत विशाल,
उन सभी में भगवान शिव इस महाशिवरात्रि के दिन दिव्या रूप में समाहित हो जाते हैं और भक्तों की पूजा स्वीकार करते हैं।

 भगवान श्री हरि विष्णु को भी महाशिवरात्रि का दिन अत्यंत प्रिया है।

 भगवान भोलेनाथ की असीम अनुकंपा से वेद ऋषि श्री वेद व्यास जी द्वारा रचित शिव महापुराण में वर्णित दिव्या ज्ञान के माध्यम से आज की अपनी प्रस्तुति में हम हिंदू धर्म में मनाई जाने वाले एक पवित्र पर महाशिवरात्रि के बारे में जानकारी देने का प्रयास कर रहे हैं।

 वैसे तो एक वर्ष में 12 शिवरात्रिया आती हैं, जो की प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को आती हैं। लेकिन फाल्गुन मास में पढ़ने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को आने वाली शिवरात्रि को महाशिवरात्रि के नाम से जाना जाता है।

 वास्तव में हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि के पवन पर्व को लेकर अलग-अलग मान्यताएं हैं, कोई इस पर्व को भगवान शिव के जन्मदिवस के रूप में मानते हैं। तो कोई इस दिन को भगवान शिव के विषपान दिवस के रूप में मानते हैं।

 तथा कोई इस दिन को भगवान शिव तथा माता पार्वती के विवाह के रूप में मानते हैं।

 परंतु आज हम शिव महापुराण के विदेश्वर संहिता खंड में वर्णित ज्ञान के माध्यम से यह कथा सुना रहे हैं,

 की जब शॉन कड़ी ऋषियों ने सूत जी से प्रश्न किया की ही महाभारत में भगवान शिव के दो रूप कौन-कौन से हैं, तथा उनकी उत्पति कैसे हुई।

 कृपया हमें यह जानकारी देने की कृपा करें तब सूत जी ने कहा है मुनि श्रष्टो ब्रह्म रूप होने के कारण भगवान शिव निष्कर्ष अर्थात निराकार कहे गए हैं।  तथा अनुप्रति अंगों सहित रूपबन होने के कारण उन्हें सकल अर्थात सरकार भी कहा गया है।

 साकार और निराकार होने के कारण ही उन्हें ग्रहण कहा जाता है, यही कारण है की भगवान शिव की निराकार स्वरूप लिंग और सरकार स्वरूप मूर्ति की पूजा की जाती है।

 भगवान शिव से भिन्न जो अन्याय दूसरे देवता हैं वे साक्षात ग्रहण नहीं है। इसलिए कहीं भी उनके लिए निराकार लिंग उपलब्ध नहीं उत्पत्ति हुई। और भगवान विष्णु के नाभि से कमल पर विराजमान ब्रह्मा उत्पन्न हुए।  सृष्टि के निर्माण का दायित्व सोप तथा भगवान श्री हरि विष्णु को सृष्टि का पालनहार बनाया। और स्वयं ब्रह्मा जी अर्थात माथे के मध्य भाग से उत्पन्न होकर रुद्र रूप धारण किया। और सृष्टि के सड़क के रूप में स्थापित हुए ।

इस प्रकार उसे अनंत पर ब्रह्म से तीन देवों की उत्पत्ति हुई जिन्हें त्रिदेव कहां जाता है।

है मुनि श्रेष्ठो,

 एक बार भगवान विष्णु और ब्रह्मदेव में कार्य शक्ति को लेकर विवाद हो गया। उसे विवाद से समस्त देवता भयभीत चिंतित और अत्यंत व्याकुल हो गए। फिर चिंता मग्न समस्त देवताओं ने दिव्या कैलाश शिखर पर जाकर इस विषय को लेकर चंद्रमौली भगवान चंद्रशेखर महादेव का स्तवन किया। तब देवताओं की प्रार्थना से प्रसन्न होकर भगवान महादेव ने ब्रह्मा और भगवान विष्णु के विवाद स्थल के बीच में निराकार तथा आदि अंत रहित भीषण अग्नि स्तंभ के रूप में स्वयं का प्राकट्य किया। यह स्तंभ करोड़ सूर्य के तेज से भी अधिक ज्योतिर्मय था। और श्री विष्णु दोनों द्वारा उसे ज्योतिर्मय स्तंभ की ऊंचाई तथा गहराई को नापने की  चेष्टा की गई तथा श्री विष्णु जी उत्तम के निचली छोड़ का पता लगाने के लिए गए परंतु दोनों ही उत्तम का अंत तथा आदि का पता नहीं कर पाए। और श्री विष्णु और ब्रह्मा भगवान शंकर को प्रणाम करके दोनों हाथ जोड़कर उनके दाएं बाएं भाग में चुपचाप खड़े हो गए। फिर उन्होंने वहां साक्षात प्रकट पूजनीय महादेव को श्रेष्ठ आसन पर स्थापित करके पवित्र पुरुष वस्तु अर्थात दीर्घकाल तक रहने वाली वस्तुएं जैसे हर नूपुर केयर किरीट मणिमय कुंडल यज्ञोपवीत उत्तरीय वस्त्र पुष्पमाला रेशमी वस्त्र हर मुद्रा पुष्प तांबूल कपूर चंदन एवं अगरू का अनुलेप धूप दीप श्वेत छात्र व्यंजन ध्वज चैंबर तथा अन्याय दिव्या उपहार द्वारा जिनका वैभव वाणी और मैन की पहुंच से परे था, जो केवल पशुपति अर्थात परमात्मा के ही योग्य द और जिन्हें पशु अर्थात बुद्धिजीवी कदापि नहीं का सकते द उन महेश्वर का पूजन किया।

 इस प्रकार सबसे पहले वहां ब्रह्माजी और विष्णु जी ने भगवान शंकर की पूजा की इससे प्रसन्न होकर भक्त वत्सल भगवान शिव ने अपने आरंभ और अंत रहित ज्योतिर्मय लिंग स्वरूप को अत्यंत छोटा किया और वहां नर्मभाव से खड़े हुए उन दोनों देवताओं से मुस्कुराकर कहा ही पुत्रों आज का दिन एक महान दिन है।

 आज के दिन तुम्हारे द्वारा मेरे निराकार और सरकार रूप की जो पूजा हुई है, उससे मैं तुम दोनों पर अत्यंत प्रसन्न हूं।

 इसी कारण यह दिन परम पवित्र और महान से महानतम होगा आज की यह तिथि महाशिवरात्रि के नाम से विख्यात होकर मेरे लिए परम प्रिया होगी। महाशिवरात्रि की स्थिति को मैं विशेष रूप से लिंग में समाहित रहूंगा और भक्तों की पूजा अर्चना स्वीकार करूंगा जो भी भक्तगण सच्चे भाव से इसका दर्शन स्पर्श और पूजन करेंगे उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी

 और बेसन धन वैभव से संपूर्ण होकर समस्त सांसारिक सुखों को भोगते हुए मोक्ष को प्राप्त होंगे ।

इस प्रकार तभी से महाशिवरात्रि का यह पवन पर मनाया जाता है। इस दिन सभी भक्तगण सच्चे मैन से भगवान शिव की पूजा अर्चना करते हैं। शिवलिंग पर दूध जल चढ़ाते हैं। फल फूल बेलपत्र धतूरा इत्यादि तथा मिष्ठान अर्पित करते हैं

 और चंदन का लेपन लगाकर धूप दीप प्रज्वलित करते हैं इससे भगवान अत्यंत प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की समस्त मनोकामनाएं पुरी करते हैं। उन्हें सुख सौभाग्य प्रदान करते हैं रोजगार एवं कारोबार में वृद्धि करते हैं

 उनके जीवन में आने वाली समस्त परेशानियों को दूर करके सफलता के द्वार खोल देते हैं तो यह थी हिंदू धर्म में मनाई जाने वाले एक पवित्र पर महाशिवरात्रि के बारे में एक छोटी सी जानकारी साझा करते है और हम आशा करते हैं की आपको यह जानकारी अच्छी लगी होगी। अगर अच्छी लगी हो तो कमेंट करे। इसके लिए हम हृदय की अनंत गहराइयों से आपका कोटि-कोटि धन्यवाद करते हैं। एक बार फिर से आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।

 जय हिंद जय भारत।

CV Raman, Happy Science Day, Biography of C.V. Raman in Hindi। C V Raman ki jivani, सी वी रमन का जीवन परिचय।

 CV Raman, Happy Science Day, Biography of C.V. Raman in Hindi। C V Raman ki jivani, सी वी रमन का जीवन परिचय।

28 फरवरी, विज्ञान दिवस
C.V. Raman Ji


विज्ञान ब्रह्मांड की कई चीजों की खोज का आधार बन गया है।

 और विज्ञान की कई खोजो में कई भारतीय दिग्गजों ने यहां पर सहायता की है।

 इन्हीं में से एक दिग्गज है,

सी वी रमन जी

 हां जिन्होंने रमन प्रभाव की खोज की थी।

 आज विज्ञान दिवस है।  और आज के उपलक्ष में हम यहां पर रमन प्रभाव के बारे में चर्चा करने वाले हैं।

 आखिर क्यों आज के दिन को ही विज्ञान दिवस के रूप में मनाया जाता है ।

इस पर भी चर्चा करेंगे और कौन थे, चंद्रशेखर वेंकटरमन जो की हमारे भारतीय इतिहास में जिन्होंने नोबेल प्राइस तक प्राप्त किया है।

 आज की चर्चा शुरू करते हैं, और सबसे पहले देखते हैं की हम किन बिंदुओं पर आज चर्चा करने वाले हैं 

आज का हमारा विषय है 

विज्ञान दिवस विशेष जिसमें रमन प्रभाव क्यों है

 खास इस बात पर हम चर्चा करने वाले हैं।

 चंद्रशेखर वेंकटरमन इसके बाद जानेंगे रमन प्रभाव के बारे में

रमन प्रभाव बहुत ही का एक महत्वपूर्ण प्रभाव है।

 जो की प्रकाशिकी से संबंधित है। और इसके लिए भारतीय वैज्ञानिक चंद्रशेखर जी को यहां भौतिकी के नोबेल प्राइज से आज के दिन ही नवाजा गया है। 

 इसलिए जरूरी है रमन प्रभाव के बारे में जानना, उसके बाद जानेंगे खोज की महत्व के बारे में।

सबसे पहले हम देखेंगे खबर है नेशनल साइंस दे 23rd रमन इफेक्ट विच व रमन वॉन डी नो विल ट्राई दरअसल रमन इफेक्ट के लिए सी सी रमन को यहां नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।  की जिसके लिए इतना बड़ा अवार्ड उन्हें प्रदान किया गया है ।

आखिर वह प्रभाव है क्या।

 यदि हम बात करें की यह खबर सुर्खियों में क्यों आ गई है तो 

दरअसल 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में मनाया जाता है। और 28 फरवरी को नामित किया गया था की आज के दिन हम यानी 28 फरवरी को हम राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में मनाएंगे।

 पहली बार हमने कभी शुरुआत की थी तो पहली बार हमने इस बारे में चर्चा की थी, 1986 में की। 

 1986 में पहली बार सामने आई की अब हम 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में मनाएंगे। इसके बाद पहली बार कब मनाया गया ।

1987 में पहली बार 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में मनाया गया।

 यहां पर उस समय राजीव गांधी जी की सरकार थी ।सियासी की बात कर रहे हैं हम तो उन्होंने ही इसे यानी आज की खोज को क्योंकि 28 फरवरी को रमन प्रभाव या रमन इफेक्ट की खोज हुई थी।

 इसी को दुनिया भर को याद दिलाने के लिए या कहीं राष्ट्र में इस दिन को महत्वपूर्ण उपलक्ष के रूप में जब इसकी घोषणा हुई तो इस दिन को याद करने के लिए यहां राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 28 फरवरी को मनाया जाने लगा ।

 हम बात करेंगे इस बात की कि भारत जी-20 की अध्यक्षता भी करने वाला है।  तो इसलिए हाथ से वैश्विक लेवल पर आखिर हम कैसे साइंस की मदद से जो आजकल घटनाएं घटित हो रही है, उसे कम कर सकते हैं। इस आधार पर T20 की अध्यक्षता के संदर्भ में इसी के आलोक में यह थीम काफी महत्वपूर्ण हो जाती है।

 अब हम जानेंगे की आखिर व रमन हैं कौन..?

 यानी इनकी बारे में जानेंगे यदि हम इनके नाम की बात करें तो इनका नाम है,

चंद्रशेखर वेंकटरमन जिनका जन्म सात नवंबर 1888 में हुआ था कहां पर हुआ था यदि हम बात करें इनकी पिता के संदर्भ में तो इनके पिता गणित भौतिकी लेक्चरर द और शुरुआती समय से ही इनकी जो शिक्षा है वह काफी महत्वपूर्ण रही है। 

और उन्होंने कम उम्र में काफी उपलब्धियां यहां पर हासिल की हैं, वर्ष 1904 में इन्होंने भौतिकी की परीक्षा पास की और बहुत सीखी मैं इन्हें प्रथम स्थान के साथ साथ स्वर्ण पदक भी प्राप्त हुआ था।

 शुरुआती 100 दिन का दिन विषय में था यानी की शुरुआती शोध की बात करें तो उन्होंने प्रकाश की और ध्वनि विज्ञान पर शुरुआत में शोध किया था।

 कई घंटे तक ये शोध करते रहते और इसी का परिणाम है की उन्होंने रमन प्रभाव की खोज भी की।

 वर्ष 1907 में इन्हें भारतीय वित्त विभाग में इन्होंने काम करना शुरू किया।  क्योंकि उसे समय जो समाज में खोज को लेकर ही रिसर्च को लेकर जो मान्यता थी वह कुछ खास नहीं थी इसलिए फिर इन्हें वित्तीय विभाग में काम करना पड़ा और उसके बाद फिर  उनका विवाह आदि हुआ तो यह उन्होंने बहुत लंबे समय तक फिर यहां पर कार्य किया लेकिन कलकत्ता में इंजन एसोसिएशन फॉर डी कल्टीवेशन ऑफ साइंस की प्रयोगशाला में इन्हें कार्य करने के लिए कहा गया।

 तो इसके साथ साथ यहां पर कार्य भी करते रहे ।

कई बार लगातार इन्होंने प्रयोग किया और कई ऐसी नई चीजों पर इन्होंने लेखन भी किया है।

 जैसे संगीत और इसके वाद्य यंत्रों के लिए ध्वनि के संदर्भ में उन्होंने अपने कई लेख लिखे हैं जो आज भी काफी प्रचारण में है ।

और काफी महत्वपूर्ण है इनके संदर्भ में हम और तथ्यों की यदि बात करें तो इन्हें आईएससी बेंगलुरु में ये प्रोफेसर के रूप में भी इन्होंने काम किया है।

 वर्ष 1933 से 1948 तक फिर वर्ष 1926 में इन्होंने इंडियन जनरल ऑफ फिजिक्स की स्थापना की।

 इसके बाद वर्ष 1922 में प्रकाश की आणविक विवरण पर इन्होंने कार्य करना शुरू किया ।

यहां से शुरू होती है प्रकाश को लेकर इनकी खोज प्रकाश के क्षेत्र में कौन-कौन सी खोज है ।

कौन-कौन सी महत्वपूर्ण प्रभाव हो सकते हैं यहां पर उन्होंने इसकी खोज शुरू की थी 

यदि हम बात करें और कौन-कौन से क्षेत्र में उन्होंने कम किया है ।

1924 में रॉयल सोसाइटी के बैलों के रूप में चुना गया था। और 1929 में इन्हें नाइट की उपाधि प्रदान की गई थी। इसके बाद ये जब इंग्लैंड गए। इंग्लैंड से लौटते हुए रास्ते में क्या देखा हवाई जहाज के माध्यम से की जब यह रास्ते नीचे देख रहे हैं तो मत भूमध्यसागर के पास उसका जो जल है वह काफी नीला दिखाई दे रहा है।

 सूर्य के प्रकाश उसे पर पड़ता है और सूर्य के प्रकाश का फिर वहां से या तो रेफरेक्शन समझाया तो पर्यावरण समझाया तो प्रवर्तक तो किसी ना किसी घटना की सुंदर दृश्य दिखाई दिया इसके बाद भी जानना चाह रहे द की आखिर यह घटना क्यों घटित होती है किस वजह से घटित होती है इसी संदर्भ में फिर उन्होंने प्रकाश की माध्यम से ही कई खोज शुरू की ।

फिर अंततः 28 फरवरी को 1928 को इन्होंने रमन प्रभाव की खोज की जो की इन्हीं के नाम पर रखा गया रमन इफेक्ट जिसमें इन्होंने प्रकाश की विभिन्न प्रवर्तन अपवर्तन विवरण के बाद प्रकीर्णन की बात की किस संदर्भ में यहां पर यह चीज है होती है ।

यदि हम बात करें इन्हीं के इस प्रयोग के संदर्भ में तो उन्होंने यह प्रयोग 60 अलग पदार्थ में किया था

 यानी केवल एक ही पदार्थ के आधार पर नहीं ।

जगत की 60 अलग-अलग पदार्थ में प्रकाश इसी प्रयोग को इन्होंने दोहराया और अंत में इन्होंने पाया की जब प्रकाश की कोई किरण किसी अनु से टकराती है तो उसमें कोई ना कोई परिवर्तन होता है।

 जिसके जैसे इन्होंने रमन इफेक्ट दिया आगे हम जानेंगे।

 अब रमन इफेक्ट के बारे में की आखिर रमन इफेक्ट है क्या..?

 क्योंकि रमन इफेक्ट के लिए इन्हें भौतिकी का नोबेल प्राइस मिला था ।

1930 में जो की अपने आप में काफी महत्वपूर्ण है।, एशिया के संदर्भ में और ये तो भारतीय व्यक्ति हैं ,तो इसलिए भारत के संदर्भ में भी अपने आप में काफी महत्वपूर्ण खोज है ।

हम सभी जानते हैं की ,

जो प्रकाश होता है जो वे किसी वस्तु से गुजरता है या किसी वस्तु के साथ परस्पर क्रिया करता है, तो उसमें तीन प्रकार की महत्वपूर्ण घटनाएं देखने को मिलती है। एक प्रकाश का परावर्तित हो जाना दूसरा प्रकाश का अपवर्तित हो जाना या उसका संस्कृत हो जाना रमन इफेक्ट क्या है रमन इफेक्ट यह है की जब कोई प्रकाश की लाइट जगह प्रकाश की कोई की थोड़ी सी अनु से टकराती है तो ऐसा देखा जाता है क्योंकि वहां पर तब तक क्या माना जा रहा था की जो प्रकाश की किरण इसके बाद जो ये वापस से किरण निकलती है वो से उसी फ्रीक्वेंसी की होती है से वही एनर्जी लेवल होता है उसका जो उसकी शुरुआती किरण का होता है रमन इफेक्ट में क्या पाया गया रमन इफेक्ट में पाया गया की कुछ ऐसी भी यहां करने होती हैं जिनकी एनर्जी लेवल और इनका वेवलेंथ चेंज हो जाता है यह एनर्जी लेवल और वाइब्लांट क्यों चेंज होता है तो जब कोई प्रकाश की किरण किसी अनु से टकराती है तो यहां पर आप सभी जानते हैं यदि हम कोई बॉल लेंगे और बॉल में हम बुलेट यहां गोली चलाएंगे तो उसमें कंपन होता है तो यहां पर अनु में भी कंपन होता है और अनु में जब कंपन होता है तो इसकी जो स्थिति ऊर्जा है इसकी जो घूर्णन की गति है यह भी चेंज हो जाती है तो यहां कहीं ना कहीं ये किरण जो किसी अनु से टकराती है तो या तो यह अनु उसे किरण को अधिक एनर्जी दे देता है जो की वेवलेंथ ठीक है बढ़ गई इसकी एनर्जी ज्यादा हो गई इसकी एनर्जी की तुलना में या तो यह अनु इसकी एनर्जी ले लेटा है और इसकी वेवलेंथ को देखिए आप यहां पर छोटा कर देता है यहां पर इसकी फ्रीक्वेंसी बढ़ जाती है देख रहे हैं या तो इसकी एनर्जी को ही हम बढ़ा देता है या तो कम कर देता है तो यह बहुत कम बहुत बहुत ही छोटी सी अनीश में बहुत ही छोटे से हिस्से में ऐसा होता है इसी की खोज की थी किसने रमन ने इसलिए इसी इन्हीं के नाम पर इसे क्या नाम रखा गया रमन प्रभाव या रमन इफेक्ट जिसमें क्या कहा गया की जब कोई प्रकाश की किरण यहां हम कहें की कोई प्रकाश किसी तरल पदार्थ से गुजरता है तो तरल द्वारा बिखेरे गए प्रकाश का एक अंश अलग रंग का होता है और ऐसा कैसे होता है क्योंकि उसकी तरंग दैर्ध्य में परिवर्तन हो जाता है और नो द्वारा प्रकाश की करने को विकसित कर दिया जाता है और यही कहलाता है रमन प्रभाव जो परिवर्तन आपने देखा यहां पर तरंगदैर्ध्य ऐसे वेव की तरीके से गति करती है तो यह उसका तरंग दर्द कहलाता है यहां पर तरंगे में अंतर ए गया लेकिन यहां पर कई तरह यानी इसकी फ्रीक्वेंसी यहां पर आवृत्ति यहां पर बढ़ गई और इसकी आवृत्ति यहां पर कम हो गई तो इसके लिए क्या देखा गया की प्रकाश की एक छोटे से अंश में किस वजह से इस अनु की वजह से परिवर्तन हो गया और ये परिवर्तन क्या तरंग दहेज में परिवर्तनाया इस वजह से हमें कुछ अंश यहां पर अलग रंग का दिखाई दिया इसे ही इन्होंने रमन इफेक्ट या हम कहें रमन प्रभाव कहा है रमन प्रभाव के संदर्भ में प्रकाश के संदर्भ में कुछ और भी तथ्य है काफी महत्वपूर्ण है जैसे प्रकाश की प्रकृति स्वभाव में परिवर्तनशील होती है यह बात हम अच्छी तरीके से जानते हैं और ऐसा कम होता है जब वह पारदर्शी माध्यम से गुजरता है या निकलता है ऐसा ही प्रजनन के संदर्भ में ही है जब प्रिज्म से कोई प्रकाश की करंट टकराती है तो देखिए विभिन्न रंगों में विभक्त हो जाती है सात रंग विभक्त हो जाती है तो यह भी कहीं ना कहीं प्रकाश के गति ही है प्रकाश का एक तरीके का कोई ना कोई इसका इफेक्ट प्रभाव ही है इसके संदर्भ में क्या कहा गया यदि हम बात करें प्रकीर्णन ही कहलाता है रमन इफेक्ट क्योंकि खोज उन्होंने ही की थी इसके बाद जिसमें जो अनु होता है जो की छोटा सा हमने जिस मॉलिक्यूल की बात की उसे मॉलिक्यूल में कहीं ना कहीं परिवर्तन ए जाता है उसमें घूर्णी ऊर्जा स्तरों में उसको उसकी प्रोत्साहन मिलता है इसको हमने बात की कंपन उसमें होने लगता है और आपतित किरण की दिशा से भिन्न अन्य दिशाओं में प्रकाश का यहां विवरण हो जाता है प्रकीर्णन हो जाता है ये तो हमने देख लिया यदि हम बात करें प्रकाश के संदर्भ में हिट दरअसल जब कोई प्रकाश इसके जो अधिकांश हिस्सा है हम सभी जानते हैं क्या होता है इसकी तरंगदैर्ध्य परिवर्तित होती है तरंगदाइड हमने देखा भी पिछले वाले स्लाइड में की से जिस फ्रीक्वेंसी से ए रही थी उसी फ्रीक्वेंसी से काफी ज्यादा प्रकाश की मात्रा बाहर निकल रही थी अनुसूत्र करने के बाद बहुत कम ही है जिसकी यहां पर वेवलेंथ में चेंज ए रहा था और ये बहुत कम अंश ही क्या कहलाता है रमन इफेक्ट यार रमन प्रभाव इसके बारे में हमने पिछले स्लाइड में चर्चा की अब हम जान लेते हैं की आखिर खोज इतनी महत्वपूर्ण क्यों हो गई है प्रकाश की प्रकृति प्रकाश की जो खोज हुई तो उसे समय ये काफी महत्वपूर्ण था क्योंकि कहीं ना कहीं उसे समय क्वांटम तक नहीं की खोज ही चल रही थी तो किसी अनु की वह अवस्था जो जैसे हम परमाणु लेवल कहते हैं किसी पदार्थ का उसकी परमाणु लेवल पर जाकर जब इलेक्ट्रॉन प्रोटॉन और न्यूट्रॉन पर हम ए जाते हैं तो इस लेवल तक किसी के बारे में हमें जानकारी पता चल जाए उसे समय जब उन्होंने खोज की थी तो यह काफी बड़े प्रभाव के रूप में देखा जा रहा था की कहीं ना कहीं हमें किसी पदार्थ के बहुत छोटे से हिस्से के बारे में भी पता यहां पर चल सकता है प्रोटॉन के स्टार में यहां पर खोज हुई थी इसलिए काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा था इसके साथ ही खोज के बाद क्या हुआ रमन स्पेक्ट्रस गोपिका आधार मिल गया इसके बाद इस फैक्टर्स को भी की भी खोज हुई जिसकी सहायता से क्या किया जाने लगा विद्युत चुंबकीय विकिरण का यहां पर अध्ययन काफी आसान हो गया यानी स्पेक्ट्रोस्कोपी की सहायता से पदार्थ और विद्युत चुंबकीय जो भी विकिरण है इनके जो प्रभाव है इनका भी अध्ययन काफी आसान हो गया उसे समय इसकी कारण खोज यहां पर और भी निकल कर सामने आई थी इसके बाद हमने अभी चर्चा भी की क्वांटम सिद्धांत के लिए उसे समय खोज काफी महत्वपूर्ण माने जा रही थी और आज क्वांटम सिद्धांत के लिए ही कई बार बहुत ही नोबेल प्राइस प्रदान किए जा रहे हैं हम सभी जानते हैं तो ये उसका आधार माना जा रहा है जब उन्होंने रमन इफेक्ट की खोज की तो आप देखिए उसके आधार पर कई सारे यहां प्रकाशित संबंधित खोज हुई हैं जिन्हें नोबल प्राइस भी प्राप्त हुआ है इसके साथ ही अब क्या किया जाता है इस इफेक्ट्स की जरिए क्या-क्या चीज यहां पर देखी जाती हैं तो सामग्री के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए जो भी विभिन्न दवाई विक्रेता है और भौतिक विधि है इसका प्रयोग करते हैं की किसी सामान्य किसी दवाई के अंदर कौन-कौन से इनग्रेडिएंट हैं इनके बारे में काफी आसानी से पता लगाया जा सकता है इस प्रभाव के बाद तो ये तो हमने जाना था मैंने फैक्ट के बारे में अब हम जानेंगे आज के सेशन पर आधारित है हमारा प्रश्न क्या है प्रश्न है निम्नलिखित में से कौन सा कथन रमन प्रभाव के बारे में सही है और है कथन क्या है रमन जी को भौतिकी में 1930 का नॉर्मल पुरस्कार प्रदान किया गया था।

Pankaj udhas famous gajal| biography in hindi pankaj udhas । सिंगर पंकज उदास की जीवनी।

 Pankaj udhas famous gajal| biography in hindi pankaj udhas । सिंगर पंकज उदास की जीवनी।


Singer Pankaj Udhas 


ओ परदेश को जाने वाले लौट के फिर ना आने वाले सात समंदर पार गया तू 
हमको जिंदा मार गया तू खून के रिश्ते तोड़ गया तू 
आंखों में आंसू छोड़ गया तू 
कम खाते हैं, कम सोते हैं
 बहुत ही ज्यादा हम रोते हैं,
 चिट्ठी आई है चिट्ठी आई है, बड़े दिनों के बाद चिट्ठी आई...

 इस गजल को जिस किसी ने सुना उसकी आंखें दबदबाई जरूर होंगी,
 लेकिन इसे गाने वाली आवाज अब हमेशा के लिए खामोश हो गई है।

 पंकज उदास साहब हमारे बीच में नहीं रहे 72 साल की उम्र में अंतिम सांसें ली


 और लंबी बीमारी के बाद उनका निधन हो गया।
 साल 2006 में पद्मश्री अवार्ड से भी नवाजा गया था।
 और उनके परिवार की तरफ से यह जानकारी दी गई है, 
कि आपको बताते हुए बहुत तकलीफ दुख हो रहा है, कि पंकज जी हमारे बीच में ने रहे ।

हमें लगा पंकज जी की कहानी हम आपको सुनाएं एक छोटा सा ट्रिब्यूट उनको हमने उनके बारे में आपको बताएं उनकी बेटी की तरफ से यह पोस्ट डाली गई है।

 उनकी दो बेटियां हैं नायाब और रेवा उन्होंने इंटर रिलीजन मैरिज की थी।
 लेकिन पंकज जी की कहानी भी उन्हीं की तरह है, और मुझे लगा कि आज हमारी तरफ से एक छोटा सा ट्रिब्यूट हम देते हैं।

 क्योंकि जो लोग गजल सुनते हैं, उनको पता है कि पंकज उदास साहब की क्या अहमियत रही है बहुत सारे गाने हैं

 ना कजरे की धार, 
  • बहुत प्यार करते हैं, 
  • तुमको सनम
  • बहुत प्यार करते हैं, 
  • तुमको सनम


 पंकज उदास साहब जो हैं वो गुजरात के मूलता रहने वाले थे

 एक तो उनके नाम को लेकर बड़ी कंफ्यूजन होती है।
 बहुत सारे लोग उन्हें पंकज उदास कहते हैं जबकि वह उदास नहीं है वह पंकज उधास हुआ करते थे। यूडी एच एएस उदास तो पंकज उदास नहीं हो

 17 मई साल 1951 को उनका जन्म गुजरात के जेतपुर में हुआ था। तीन भाई थे।  और सबसे छोटे थे।
 राजकोट के पास उनका घर था ।और चरखा की नाम का एक कस्बा था। वहीं पर उनके दादाजी जमीदार थे
 और वहा भाव नगर के दीवान हुआ करते थे
 क्योंकि फैमिली बड़ी मजबूत थी।
 लिहाजा गायकी को लेकर किसी का कोई मन नहीं था लेकिन उनकी मॉम जो थी, उनको इंटरेस्ट थोड़ा सा था। और वहीं से इनका रुझान जो है वो गायकी की तरह चला गया
 हालांकि इतना आसान नहीं था, कहा जाता है कि लता मंगेशकर जी ने जब चीन युद्ध के बाद वह गाना गाया था

 ऐ मेरे वतन के लोगों उसने पूरे देश को गमगीन कर दिया था।

 और देश को एकजुट करने के लिए वो गाना बनाया गया था। 

जरा याद करो कुर्बानी जो शहीद हुए उस गाने को सुनकर इन्हें लगा कि शायद गायकी इनके लिए बनी है। और फिर इन्होंने गाना शुरू कर दिया । स्कूल में  काफी बेहतर सिंगर थे तो असेंबली के हेड बना दिए गए थे। और वहां पर गाते थे बाद में माता की चौकी में भजन गाने लगे धीरे-धीरे और गाने बढ़े।

 पंकज जी ने शुरुआती दौर में मेरे वतन के लोगों को गाया और बहुत लोग उनकी तारीफ करते थे। और उसी में से पहली बार उन्हें अपने जीवन की पहली कमाई ₹1 मिली थी

 जब उन्होंने ऐ मेरे वतन के लोगों गाया पंकज जी के दो भाई हैं दोनों भाई भी काफी टैलेंटेड हैं मनहर और निर्जल उदास
 इनका भी जाना माना नाम है मनहर साहब तो खास तौर पर और इनके फादर ने इनका एडमिशन इसके बाद राजकोट में एक म्यूजिक अकेडमी में करा दिया था।
 वहां पर य सीखे हालांकि फिर बॉलीवुड में नाम कमाना था
 गए तकरीबन तीन-चार साल तक काफी स्ट्रगल किया लेकिन उस स्ट्रगल के बीच में पॉपुलर नहीं मिली और 4 साल संघर्ष करने के बाद जब कोई काम नहीं मिला तो निराश होकर वो चले गए विदेश में हालांकि एक फिल्म मिली थी ।जिस फिल्म में काम मिला बट वो चली नहीं और विदेश में रहने लगे इसके बाद एक गाना जिससे इन्हें पॉपुलर मिली थी वो एक्चुअली गाना नहीं चाहते थे राजेंद्र कुमार जी की फिल्म थी। जिसमें गाना गया और यह था कि गाना गाए कैमियो करें बट इन्होंने मना कर दिया फिर बाद में इनके भाई मनहर से बात हुई

 फिर जब मनहर  भाई साहब ने इनको बताया तब इन्होंने कहा कि ठीक है करते हैं और उसी के बाद यह गाना आया था चिट्ठी आई है और चिट्ठी आई है।
 उस जमाने का सबसे बड़ा हिट सॉन्ग था इतना बड़ा हिट सॉन्ग था कि कहा जाता है कि राज कपूर सा साहब एक बार घर पर डिनर पर बुलाते हैं और पंकज जी गाना गाते हैं चिट्ठी आई है।

 और इस गाने को सुनकर राज कपूर साहब फफक फफक कर रो पड़े थे ।
राज कपूर साहब ने कहा कि इससे बेहतर गायकी नहीं हो सकती कोई भी आदमी इससे बेहतर इस गाने को नहीं गा सकता है।
 जिस तरह से चिट्ठी आई उन्होंने गाया था और वाकई में चिट्ठी आई की लाइने जो हैं वो  एक तो लाइनें बहुत खतरनाक है जैसे 
सुनी हो गई शहर की गलियां कांटे बन गई बा की गलियां कहते हैं सावन के झूले भूल गया 

और बाकी उनकी आवाज उस आवाज ने जो दर्द दिया जो उसे महसूस किया वो अनमैचेबल था ।
और इसी वजह से ये इतने बड़े कलाकार बन गए हालांकि कई किस्से नि कहानी के हैं लाइफ में एक किस्सा है कि 

एक बार पंकज जी को गाना गाना था और कहीं पर गए उर्दू सीखी थी। गए गाना गाने और किसी ने उनसे बड़े गलत तरीके से फरमाइश की पंकज जी ने मना कर दिया
 उस आदमी ने पंकज जी के सर पर बंदूक रख दिया और कहा कि भैया गाओगे या ठोक देंगे पंकज जी ने फिर गाया वो एक शॉकिंग किस्सा उन्होंने खुद सुनाया था ।

उनकी लाइफ में भी लव स्टोरी जो है वो भी बड़ी इंटरेस्टिंग है 1982 में उनकी शादी हुई थी फरीदा जी से और फरीदा जी मुस्लिम थी ।पंकज उदास जो थे वो हिंदू थे। ऐसे में इनकी दोस्ती कॉलेज में हुई पढ़ाई में फिर प्यार की बात आई पंकज जी की फैमिली को दिक्कत नहीं था,  लेकिन जो लड़की थी उनके फादर पुलिस में थे। और बहुत इनकी हालत खराब थी पंकज जी बहुत पापड़ बेले बहुत मुश्किल से कोशिश की कि बात की जाए मैडम ने बात की जैसे तैसे फिर पंकज जी से मुलाकात हुई।

 उस जमाने में 1980 में एक मुस्लिम लड़की का हिंदू लड़के पंकज उदास से शादी करना इतना आसान नहीं था
 लेकिन फिर पंकज जी से जब मुलाकात हुई तो उन्हें रिलाइज हुआ कि शायद बहुत ही खूबसूरत इंसान है
 और उसके बाद इनकी शादी हो गई दो बेटियां हैं नायाब और रेवा
 और नायाब की तरफ से ही उदास फैमिली ने ये बताया है कि 26 फरवरी 2024 को पंकज उदास जी का निधन जो है वो हो गया है 72 साल की उम्र में जाना माना नाम हमारी तरफ से भी ओम शांति रेस्ट इन पीस पंकज जी।